अमेठी
दिनांक-14.08.2013
परमादरणीय मोहन भागवतजी,
सादर प्रणाम!
हलाँकि आप मुझसे अपरिचित हैं परंतु मैं क्या कोई भी हिंदू और खासकर स्वयंसेवक आपसे बिना मिले भी परिचित ही होगा। काफी दिनां से वैचारिक द्वन्द में चल रहा था। वर्तमान परिस्थितियों में हिदुत्व को घेरने की साजिश से जैसे-जैसे अवगत हुआ, मेरा मन अपने तुच्छ विचार को कलमवद्ध कर आप तक प्रेषित करने हेतु विवश हो गया। आप तक इसलिए क्योंकि मुझे आप ही वे व्यक्ति लगे जहां से मुझे आशा की किरण दिखाई दी। आपकी दूरदर्शिता वैचारिक सोंच प्रखरता और बेवाकी का मुक्तकंठ प्रशंसक रहा।
मैं विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ा रहा एवं वर्तमान मं अखिल भारतीय साहित्य परिषद से जुड़ा हूँ। इसी के माध्यम से आपको जानने समझने एवं सुनने का अवसर प्राप्त हो पाया। मुझ जैसे अज्ञानी को साहित्य एवं संस्था के माध्यस से हिन्दुत्व, राष्ट्रधर्म, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, वर्तमान समस्या एवं समाधान का जो भी ज्ञान प्राप्त हुआ उसका जीवन पर्यन्त ऋणी रहूँगा।
हलांकि आपको किसी तरह का सुझाव या सलाह देना सूर्य को दीपक दिखाने जैसे है, परंतु उसके बाद भी मैं यह दुस्साहस करते हुए अपने कुछ विचार व्यक्त करने की चेष्टा कर रहा हूँ:-
1. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वैसे तो सभी परन्तु विशेषकर दो कर्तव्यनिष्ठ संघ प्रचारकों श्री संजय जोशी एवं श्री नरेन्द्र मोदी के बीच की कटुता को खत्म कर नई पहल करते हुए एकीकरण की दिशा में आपको मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए। इससे संघ, भाजपा एवं देश का काफी भला होगा और इस शुभ संकेत का व्यापक असर होगा। हिन्दुत्व वोटों के ध्रुवीकरण के साथ साथ अनुशासन, निष्ठा की कद्र बढ़ेगी और इससे दोनों नेताओं की लोकप्रियता में बढ़ोतरी होगी। हमारा मानना है कि बड़ा वह होता है जो दूसरां को छोटा नहीं समझता। स्वयं को संगठन से बड़ा समझने की भूल कई नेता कर रहे हैं तथा पार्टी को प्रा॰लि॰ कंपनी की तरह चला रहे हैं, जिसका असर कार्यकर्ताआं पर रहा है।
2. यूपीए सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को आम जनमानस तर्क ले जाने हेतु भाजपा की सुनियोजित एवं प्रभावी तैयारी हो तथा रा॰ स्वयंसेवक संघ इसकी मानीटरिंग करें।
3. आज आम भारतीय जनमानस में खासकर युवावर्ग में मोदी का ग्राफ सबसे ऊपर है और वे लोकप्रियता के उत्कर्ष पर है। ऐसी स्थिति में जनभावना को तवज्जो न देना भूल साबित हो सकती है।
4. रा॰ स्वयंसेवक संघ को पहल कर भाजपा प्रमुख से ऐसे नेताओं की सूची तैयार करने को कहना चाहिए जो अहं की भावना से पीडि़त हो, उनमें घमंड की भावना लवरेज हो अथवा यह कहा जाय कि “अहं एको द्वयो नास्ति” की उक्ति उन पर चरितार्थ होती हो। ऐसे नेताआं को आपके नेतृत्व में आयोजित प्रशिक्षण वर्ग में शामिल होने की अनिवार्यता हो। इससे संगठन में कटुता बढ़ रही है तथा जिसका घातक असर हो रहा है। इसे रोका जाना अति आवश्यक है।
5. नरेन्द्र मोदी के राज्य गुजरात का विकास माडल, विपक्षियों को घेरने की आवश्यक कार्यशैली एवं चुनावी रणनीति का लाभ भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर तभी प्राप्त हो सकता है जब उनकी अगुआई एवं निर्देशन में चुनाव का प्रबंधन के साथ-साथ उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाय।
6. एक निश्चित उम्र सीमा के बाद बुजुर्ग नेताओं को नेतृत्व के बजाय निर्देशन की भूमिका में आना चाहिए।
7. भाजपा के सभी नेताओं को आज अनुशासन का पाठ पढ़ाए जाने एवं उसे अमल में लाए जाने की पहल करनी चाहिए। अनुशासन की प्रक्रिया बड़े नेताओं से लेकर एक सामान्य कार्यकर्ता तक समान रूप से लागू हो ।
8. एनडीए के घटक दलों के साथ मधुर संबंध एवं समन्वय बढ़ाने में सभी नेताओं को अलग-अलग सुर नहीं बल्कि एक होकर कार्य करने की आवश्यकता है।
9. सतान यूपीए के घोटालों एवं अनियमितताओं को घेरने एवं आम जनता तक पहुंचाने में काफी समय एवं संसाधन लगेगा। इसलिए उसे अतिशीघ्र मूर्त रूप देने की आवश्यकता है। आज आम जनता भ्रष्टाचार मंहगाई एवं जनसमस्याओं से त्रस्त होकर भाजपा को विकल्प के रूप में देख रही है। परन्तु सच्चाई तो यह है कि हम खुद टुकड़े-टुकड़े में बंटे हैं। इसके लिए सच्चे दिल से एकजुटता प्रदर्शित करनी होगी।
10. प्रखर एवं कट्टर हिंदुत्व की भावना ही अगड़ा-पिछड़ा, आरक्षण, जातिवाद, क्षेत्रीयतावाद तुष्टीकरण की नीति का पर्याय हो सकता है,वशर्ते कि उसे समुचित तरीके से व्यापकता देकर आत्मसात किया जाय।
11. भारतीय जनता पार्टी को अलग दिखना समय की सबसे बड़ी मांग है। भ्रष्टाचार विरोधी एवं पारदर्शिता समर्थक छवि होना उसके लिए अत्यावश्यक है। अतः उसे सीआईसी के वर्तमान निर्णय आरटीआई के दायरे में राजनैतिक दलों को लाने की अनिवार्यता का समर्थन करना चाहिए तथा इससे सम्बन्धित बिल का विरोध कर अलग छवि बनानी चाहिए।
12. भाजपा को सत्ता मिलने के एक वर्ष के अंदर हो त्वरित न्यायिक प्रक्रिया एवं सभी विभागों में खाली पड़े पदों को भरे जाने की चुनावी घोषणा का ऐलान करना चाहिए।
13. आम जनता में यह धारणा बन चुकी है कि पर्याप्त कानून के बाद भी घोटालेबाजों को कुछ नहीं होता। इसका कारण ढूँढ़कर वह सभी प्रयास होने चाहिए, जिससे घोटालेबाजों को त्वरित न्यायिक प्रक्रिया के तहत कठोर दंड मिले। जनता के धन का दुरुपयोग एवं डकैती करने से पहले दस बार सोंचे। आम जनता के दिल में भाजपा यदि विश्वास बनाती है तो निश्चित रूप से इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा।
14. भाजपा को अल्पसंख्यकों के जनसंख्या का प्रदेशवार डाटाबेस तैयार करने के साथ साथ लाभार्थी अल्पसंख्यकों, लाभ प्राप्त नहीं करने वाले की संख्या एवं योजनाओं का जिक्र करते हुए सभी अल्पसंख्यकों को बताने का प्रयास करना चाहिए कि उसी के लिए बनी योजनाओं से तुष्टीकरण को बढ़ावा मिल रहा। अल्पसंख्यक में ही कटुता फैल रही है तथा यह स्थायी समाधान नहीं है, अर्थात जिसे लाभ नहीं मिलेगा वह असंतुष्ट और उग्र ही तो बनेगा।
15. भाजपा को समरसता के सिद्धांत पर अमल करते हुए दलितों, शोषितों, पीडि़तों को मुख्य धारा लाने एवं उसे संबल प्रदान करने का पहल करना चाहिए, तभी उसपर च्ंतजल ूपजी ं कपििमतमदबम की उक्ति चरितार्थ होगी। आपके द्वारा विमोचित एवं पूर्ण के मूल निवासी श्री संदीप वासलेकर द्वारा लिखित पुस्तक “नए भारत का निर्माण” की मूल अवधारणा-सर्वसमावेशी विकास की आवधारणा का प्रतिप्रादन हो।
16. ऐसे उम्मीदवार जिसके आगे संगठन का अस्तित्व न रहे अथवा जिसे उम्मीदवारी से संगठन के बजाय व्यक्ति विशेष का वर्चस्व रहे और आम कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो या संगठन गौण हो जाय, ऐसे सामन्तवादी उम्मीदवारों/दावेदारों से भाजपा को बचाना होगा। जो अपने निजी हितों की पूर्ति हेतु भाजपा से जुड़ना चाहते हैं। दलीय निष्ठा की परीक्षा ली जाय और इस सम्बन्ध में टूटे-बिखरे, एवं रूठे निष्ठावान कार्यकर्ताओ से भी सम्पर्क, समन्वय एवं संवाद अवश्य स्थापित हो।
17. यूपीए सरकार के रिमोट कंट्रोलर श्रीमती सोनिया गांधी एवं श्री राहुल गांधी को हराने हेतु व्यापक शक्तियों का समीकरण आवश्यक है एवं समर्थ व योग्य मजबूत प्रत्याशी का चयन हो जो उन्हें शिकस्त दे सके। निश्चित रूप से ऐसा होने पर राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका व्यापक असर पड़ेगा। दुर्भाग्य से हम अपने प्रतिद्वन्दी के प्रति साॅफ्ट कार्नर रखते हुए अपना अहित कर रहे हैं। “कृष्ण ने कहा अर्जुन से न प्यार जता दुश्मन से युद्ध कर- युद्ध कर-युद्ध कर”।
18. हमारा मानना है कि “कांग्रेस के कब्र पर ही भाजपा का कमल खिलेगी”। इसी को ध्यान में रखकर हमने उत्तरप्रदेश के अमेठी, रायबरेली, प्रतापगढ़ जिले में आम जनता को जागृत करने के उद्देश्य से उसके अधिकार व कर्तव्य और आरटीआई नियमों की जानकारी देते हुए भारतीय आरटीआई फाईल करने हेतु प्रशिक्षण का कार्यक्रम अपै्रल 2013से प्रारंभ कर चुका हूँ तथा अमेठी संसदीय क्षेत्र से भाजपा टिकट हेतु आवेदन भी दिया है।
19. सोनिया राहुल और राबर्ट बढेरा की कारस्तानियों की जानकारी एवं झूठ के पुलिंदों को तथ्यवार इकट्ठा कर अमेठी एवं रायबरेली की जनता तक विशेष रूप से पहुंचाने एवं मानसिकता बदलने जैसे महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेवारी हमने स्वयं अपने कंधे पर लिया है। इस मिशन की सफलता से इस अति प्रतिष्ठित सीट के समीकरण में टूट एवं उससे उत्पन्न कंपन का असर बहुत दूर तक होगा, जिसका हमें विश्वास है। यह सत्य है कि हमारे पास सुविधा एवं साधन का अभाव है परंतु इसके अलावे जोश जुनून और विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ने की क्षमता का विकास अपने व्यक्ति में हमने विकसित किया है। हमारी जान को खतरा है, मुझे धमकियां भी मिलनी शुरू हो गई हैं। परंतु सकारात्मक विश्वास के तहत हमने आरटीआई एवं अन्य स्रोतों द्वारा हासिल सूचनाओं के अस्त्र से राहुल गांधी को अमेठी में घेरने एवं आम जनता के मानसिकता में परिवर्तन करने एवं जंग जीतने का संकल्प किया है। इन्हीं आशा एवं उम्मीद के साथ आपके आशीर्वाद एवं सहयोग अपेक्षित है। सादर धन्यवाद!
हम आपके अति अभारी होंगे। यदि आप अपने बहुमूल्य समय के कुछ क्षण देने की कृपा करेंगें।
आपका ही-
गोपाल प्रसाद (आरटीआई एक्टिविस्ट)
महासचिव, आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन
सचिव, अखिल भारतीय खटिक समाज
सलाहकार सदस्य: विश्व मित्र परिवार एवं मौलिक भारत
स्थानीय निवासः अवध निवास, गंगागंज
(निकट विन्ध्याचल मंदिर)धम्मौर रोड अमेठी (उ॰प्र॰)पिन-227405
स्थायी पता-मकान नं 210, गलीं नं॰ 3, पाल मोहल्ला,
निकट मोहनबाबा मंदिर, मंडावली, दिल्ली-110092
सम्पर्क- 08743057056, 09506933695
EMAIL: sampoornkranti@gmail.com
शिक्षा का प्रथम उद्देश्य बच्चों को एक परिपक्व इन्सान बनाना होता है, ताकि वो कल्पनाशील, वैचारिक रूप से स्वतन्त्र और देश का भावी कर्णधार बन सकें, किन्तु भारतीय शिक्षा पद्धति अपने इस उद्देश्य में पूर्ण सफलता नहीं प्राप्त कर सकी है, कारण बहुत सारे हैं । सबसे पहला तो यही कि अंगूठाछाप लोग डिसाइड करते हैं कि बच्चों को क्या पढ़ना चाहिये, जो कुछ शिक्षाविद् हैं वो अपने दायरे और विचारधाराओं से बंधे हैं, और उनसे निकलने या कुछ नया सोचने से डरते हैं, ऊपर से राजनीतिज्ञों का अपना एजेन्डा होता है, कुल मिलाकर शिक्षा पद्धति की ऐसी तैसी करने के लिये सभी लोग चारों तरफ से आक्रमण कर रहे हैं, और ऊपर से तुर्रा ये कि ये सभी लोग समझते हैं कि सिर्फ वे ही शिक्षा का सही मार्गदर्शन कर रहे हैं, जबकि दरअसल ये ही लोग उसकी मां बहन कर रहे हैं । मैं किसी एक पर दोषारोपण नहीं करना चाहता, शिक्षा पद्धति की रूपरेखा बनाने वालों को खुद अपने अन्दर झांकना चाहिये और सोचना चाहिये, कि क्या उसमें मूलभूत परिवर्तन की जरूरत है। आज हम रट्टामार छात्र को पैदा कर रहे हैं, लेकिन वैचारिक रूप से स्वतन्त्र और परिपक्व छात्र नहीं, क्या यही हमा…
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