वर्तमान स्थिति एवं परिस्थिति के अनुसार सभी नागरिकों को नव बर्ष में नव संकल्प लेने हेतु अग्रसर होना चाहिए। आज आवश्यकता है कि नीति के साथ नीयत भी बदले। इसके लिए हम स्वयं से करें बदलाव की शुरुआत और सबकी जिम्मेवारी तय हो। प्रत्येक नागरिक को उसके अधिकार और कर्तव्य की जानकारी सरकारी एवं सामाजिक स्तर से हो, ऐसी व्यवस्था बने। अंग्रेजों के समय से चले आ रहे साम्राज्यवादी , शोषक कानून की समीक्षा तथा संशोधनों पर अबिलम्ब कारवाई हो। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु अतिशीघ्र कड़े कानून बनाकर उसपर त्वरित अमल हो। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु अतिशीघ्र कड़े कानून बनाकर त्वरित कारवाई हो। कालाधन वापस लाकर सभी कालाधन जमाकर्ताओं के नाम उजागर किये जाए तथा इससे सम्बंधित समयसीमा ख़त्म हो।
महिलाओं की सुरक्षा हेतु हर संभव उपाय सुनिश्चित किए जाय एवं यौन हिंसा से सम्बंधित अब तक के सभी मामलों की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में हो। पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा बलात्कारियों के मृत्युदंड माफ करने के जघन्यतम फैसले पर वर्तमान राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी विचार करें, इसका दबाब जनता द्वारा बनाया जाय। समाज का अवमूल्यन एवं कुसंस्कृति पर रोक लगाने हेतु हर स्तर पर प्रयास हो। न्यायपालिका एवं पुलिस में खाली पड़े पदों पर अबिलम्ब नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो। अश्लील एवं भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने हेतु सख्ती से पालन हो। फिल्मों , धारावाहिकों, विज्ञापनों एवं प्रचार के सभी माध्यमों में महिला देह प्रदर्शन एवं अश्लीलता परोसने वाले सभी कुत्सित प्रयास बंद हो। न्यायपालिका एवं पुलिस व्यवस्था में सुधार हेतु अब तक प्राप्त सभी आयोगों की रिपोर्ट पर अमल हो एवं उन सुझावों पर त्वरित कारवाई शुरू हो . न्यायपालिका दो शिफ्ट में चले , जिससे मुकदमों की सुनवाई त्वरित गति से हो सके। कानून का कठोरता पूर्वक पालन हो , यह हर स्तर पर सुनिश्चित किए जाए। सरकार की सोच एवं नीति व्यापारी की तरह नहीं बल्कि जनकल्याण की हो। समाज में अशिक्षा, अपराध , अंधविश्वास के विरुद्ध जनजागरूकता लाया जाए तथा प्रेम, सौहार्द्र, शांति, सद्भाव कायम करने हेतु हर स्तर पर कमेटियां गठित हों। समाज के उपेक्षित तबकों, महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों के प्रति आदर, सहानुभूति, सहयोग, करुणा एवं दया की भावना विकसित करने हेतु सबों का योगदान हो। मानवाधिकार हनन एवं भ्रष्टाचार के हर संभव मामले उजागर किए जाए। यह तभी संभव होगा जब सभी सरकारी योजनाओं एवं सरकारी नीतियों पर जनता की मॉनीटरिंग की प्रयास की शुरुआत हो। हर स्तर के पर्यावरण प्रदूषण (वायु, ध्वनि, जल) के साथ -साथ वैचारिक प्रदूषण न्यूनतम किए जाने हेतु सामूहिक प्रयास हो . लोकसभा, विधानसभा के सभी चुनाव हेतु उम्मीदवारों हेतु न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता,अधिकतम उम्रसीमा तय किए जाए तथा हत्या, बलात्कार या यौन हिंसा और धोखाधड़ी के अभियुक्तों ( चाहे वे जमानत पर ही क्यों न छोटे हों, के चुनाव लड़ने पर रोक लगे। इस हेतु एवं चुनाव सुधार हेतु बने आयोगों की अनुशंसाओं पर अबिलम्ब प्रतिपादन हो। उपरोक्त सभी सुझावों हेतु लंबित सभी विधेयकों को संसद में पारित किए जाए। वास्तव में भारत के सभी मूल समस्याओं का तभी निदान हो सकेगा।
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लेखक गोपाल प्रसाद आरटीआई एक्टिविस्ट हैं।
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