कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि फेसबुक और माईस्पेस जैसे सोशल नेटवर्किंग के वेबसाइट इसका इस्तेमाल करनेवालों की जानकारियों को गुप्त रखने के प्रति गंभीर नहीं हैं । विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार यह कई वेबसाइट के बीच प्रतिस्पर्धा का परिणाम है । कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने अपने सर्वेक्षण में बिश्व के करीब ४५ सोशल नेटवर्किग वेबसाइट को शामिल किया, जिसमें फेसबुक और माईस्पेस जैसे प्रसिद्ध वेबसाइट के अलावा कई कम प्रसिद्ध वेबसाइट भी शामिल थे । रिपोर्ट में इन वेबसाइट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की व्यक्तिगत जानकारियों को गुप्त नहीं रख पाने पर गहरी चिंता जताई गई है । यह अपनी तरह का पहला ऐसा विस्तृत विश्लेषण है, जिसमें सोशल नेटवर्किंग के वेबसाइट के व्यक्तिगत सूचनाओं की सुरक्षा के प्रावधानों की पड़ताल की गई है । अध्ययन के अनुसार, करीब ९० प्रतिशत से अधिक वेबसाइट व्यक्ति का पूरा नाम और जन्म का विस्तृत विवरण लिए बिना वेबसाइट ज्वाइन करने की इजाजत नहीं देते । ८० प्रतिशत ऐसे वेबसाइट हैं, जिन्होंने वेबसाइट का इस्तेमाल करनेवालों के महत्वपूर्ण आंकड़ों को हैकर्स से बचाने के लिए मानक उपाय नहीं किया है । और करीब ७१ प्रतिशत वेबसाइट ने तीसरे व्यक्ति के साथ जानकारी बांटने का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखा है । इस अध्ययन के हिस्सा रहे जोसेफ बोननू ने कहा कि लोगों के मनोरंजन के ये वेबसाइट उन्हें व्यक्तिगत जानकरियों के मसले पर परेशान करते हैं । यह सर्वेक्षण सिर्फ अंग्रेजी के वेबसाइट पर किया गया ।
शिक्षा का प्रथम उद्देश्य बच्चों को एक परिपक्व इन्सान बनाना होता है, ताकि वो कल्पनाशील, वैचारिक रूप से स्वतन्त्र और देश का भावी कर्णधार बन सकें, किन्तु भारतीय शिक्षा पद्धति अपने इस उद्देश्य में पूर्ण सफलता नहीं प्राप्त कर सकी है, कारण बहुत सारे हैं । सबसे पहला तो यही कि अंगूठाछाप लोग डिसाइड करते हैं कि बच्चों को क्या पढ़ना चाहिये, जो कुछ शिक्षाविद् हैं वो अपने दायरे और विचारधाराओं से बंधे हैं, और उनसे निकलने या कुछ नया सोचने से डरते हैं, ऊपर से राजनीतिज्ञों का अपना एजेन्डा होता है, कुल मिलाकर शिक्षा पद्धति की ऐसी तैसी करने के लिये सभी लोग चारों तरफ से आक्रमण कर रहे हैं, और ऊपर से तुर्रा ये कि ये सभी लोग समझते हैं कि सिर्फ वे ही शिक्षा का सही मार्गदर्शन कर रहे हैं, जबकि दरअसल ये ही लोग उसकी मां बहन कर रहे हैं । मैं किसी एक पर दोषारोपण नहीं करना चाहता, शिक्षा पद्धति की रूपरेखा बनाने वालों को खुद अपने अन्दर झांकना चाहिये और सोचना चाहिये, कि क्या उसमें मूलभूत परिवर्तन की जरूरत है। आज हम रट्टामार छात्र को पैदा कर रहे हैं, लेकिन वैचारिक रूप से स्वतन्त्र और परिपक्व छात्र नहीं, क्या यही हमा…
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